चौटाला परिवार में रार


हरियाणा में चौधरी देवीलाल के परिवार में विरासत को लेकर जंग तेज हो गयी है। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के दोनों बेटे आमने सामने खड़े हैं। हालांकि ओमप्रकाश चौटाला ने अपने छोटे बेटे अभय चौटाला को अपना आशीर्वाद दे दिया है और इसी का नतीजा है कि उन्होंने अपने बड़े बेटे अजय चौटाला के दोनों बेटों दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निकाल दिया है। उन्होंने तुरंत प्रभाव से दोनों की प्राथमिक सदस्यता भी रद्द कर दी है। साथ ही दोनों को पार्टी की संसदीय समिति से भी हटा दिया है। दुष्यंत और दिग्विजय पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। ओमप्रकाश चौटाला की तरफ़ से जारी पत्र में कहा गया है। कि दुष्यंत और दिग्विजय दोनों ने 7 अक्टूबर 2018 को पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल के जन्मदिवस पर गोहाना में आयोजित समारोह में अनुशासनहीनता दिखाई। दोनों ने पार्टी नेतत्व के खिलाफ़ नारेबाजी भी की। इसके साथ ही चौटाला ने कहा कि इस मामले में उन्हें किसी भी बाहरी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वो स्वयं इस कार्याक्रम में उपस्थित थे। उन्होंने अनुशासनहीनता और हुड़दंग की। घटनाएं खुद अपनी आखों से देखी। यहां तक कि दुष्यंत और दिग्विजय ने अपने समर्थकों के साथ उनके भाषण में भी रुकावट पैदा करने की कोशिश की। इसके बावजूद उन्होंने पूरे मामले को अनुशासन समिति को भेजा, जिसके निर्णय के बाद ही दुष्यंत और दिग्विजय के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गयी। पार्टी कार्यालय को जारी अपने पत्र में चौटाला ने लिखा है कि दुष्यन्त और दिग्विजय उनके परिवार के ही सदस्य हैं, इसलिए उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करना आसान नहीं था। लेकिन मैंने अपने पूरे जीवन में चौधरी देवीलाल के आदर्शों और सिद्धांतों का पालन किया है। मेरा मानना है कि पार्टी किसी व्यक्ति विशेष्य या परिवार के सदस्य से बड़ी होती है। परिवार में रार इसलिए वो अनुशासन समिति की सिफ़ारिश से सहमत हैं। ओमप्रकाश चौटाला ने अपने इस कदम से अपने समथर्को और हरियाणा की जनता को यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी राजनीतिक विरासत का वारिस उनका छोटा बेटा अभय चौटाला है और अगर इनेलो की राज्य में वापसी होती है, तो अभय चौटाला ही मुख्यमंत्री होंगे। चौटाला परिवार में ताजा रार की शुरुआत उस समय हुई, जब पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के जन्मदिन के मौके पर 7 अक्टूबर को सोनीपत के गोहाना में इनेलो की बड़ी रैली आयोजित हुई । इस रैली में अभय चौटाला की हूटिंग की गयी और साथ ही हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला को इनेलो की ओर से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने की मांग की गयी। कहा गया कि इस हूटिंग के पीछे दुष्यंत चौटाला और उनके भाई दिग्विजय चौटाला । का हाथ था। इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला ने कड़ा निर्णय लेते हुए न केवल अपने दोनों पोतों दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से निकाल । दिया। साथ ही पार्टी की छात्र इकाई इनसो और यूथ बिंग को भी भंग कर दिया, जिसके कर्ताधर्ता दिग्विजय चौटाला थे। ओमप्रकाश चौटाला ने अपने फैसले से हरियाणा की जनता को यह साफ़ संदेश देने की कोशिश की है कि उनके बाद उनका छोटा बेटा अभय चौटाला ही इनेलो का सर्वेसर्वा है। हालांकि अभी भी उनकी गैरमौजूदगी में पार्टी का सारा कामकाज अभय चौटाला ही देखते हैं और वहीं हरियाणा विधानसभा में पार्टी के नेता भी हैं। । गौरतलब है कि ओमप्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला को भ्रष्टाचार के मामले में 10 साल की सजा हो। चुकी है। इसलिए सजा पूरी होने तक यह दोनों चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं ले सकते । अजय चौटाला को उम्मीद थी कि उनके पिता ओमप्रकाश चौटाला उनके बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को आगे बढ़ाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पोतों पर अपने छोटे छोटे अभय चौटाला को तरजीह दी। और समय-समय पर उन्हें आगे बढ़ाया, जिससे उनके पोतों दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला में असंतोष पनपता रहा, जो गोहाना रैली में सतह पर आ गया। इनेलो आज उसी दौराहे पर खड़ी है, जिस पर वर्ष 1987 में चौधरी देवीलाल खड़े थे, तब देवीलाल ने सख्त निर्णय लेते हुए अपने छोटे बेटे ओमप्रकाश चौटाला को अपना राजनीतिक वारिस घोषित किया था। वर्तमान में वही स्थिति ओमप्रकाश चौटाला के सामने थी। उन्होंने भी दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से निकालकर एक राजनीतिक लकीर खींच दी है, ताकि हरियाणा की जनता में उनकी विरासत को लेकर साफ़ संदेश जाथे। ऐसे में जब उनकी पेरोल की मियाद ख़त्म हो रही है, और 2019 में राज्य प्रमुख में विधानसभा सभा चुनाव होने है, उनके लिए यह निर्णय लेना एक तरह से जरुरी भी था, वरना उनकी गैरमौजूदगी में इनेलो समर्थकों में उहापोह की स्थिति बनी रहती । । उधर इनेलो से निकाले गये दुष्यंत और दिग्विजय अपने दादा ओमप्रकाश चौटाला के वार पर पलटवार की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि दोनों अलग पार्टी बनाने का ऐलान कर सकते हैं। उनका मानना है कि इनेलो को यहां तक पहुंचाने में उनके पिता का बड़ा योगदान है और बड़े बेटे के पुत्र होने के नाते चौटाला परिवार की राजनीतिक विरासत पर पहल हक उनका है। वहीं अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला ने अपने दोनों बेटों दुष्यंत और दिग्विजय का बचाव करते हुए कहा है कि 15 लोगों ने इनेलो का सत्यानाश कर दिया । वो पार्टी को खा गये। कुछ लोग कहते हैं कि अजय चौटाला के परिवार को मक्खी की तरह पार्टी से निकालकर फेंक देंगे। वो पोस्टर में तो क्या हरियाणा में भी नजर नहीं आएंगे। पार्टी में चल रही इस उठापटक से मैं दुखी हूं। हरियाणा की जनता चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विरासत किसे सौंपती है, इस सवाल का जवाब तो 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ही मिलेगा, लेकिन राज्य की एक प्रमुख पार्टी में बिखराव की स्थिति से भाजपा और कांग्रेस खुश हैं। उन्हें लगता है कि चौटाला परिवार में कलह से राज्य में इनेलो की स्थिति कमजोर होती जाएगी, जिसका लाभ अन्ततः उन्हें ही मिलेगा।