पुलिस का सहज पाठ

     


           


 पुलिस का काम वैसे तो लोगों की सुरक्षा करना है, लेकिन पश्चिम बंगाल की आसनसोल -दुर्गापुर पुलिस अपनी ड्यूटी के साथ ही क्षेत्र के आदिवासी लोगों को शिक्षित करने का अनूठा अभियान चला रही है। पुलिस ने अपने इस अभियान को सहज पाठ' नाम दिया है। इस अभियान के तहत पुलिस छोटे-बड़े, स्त्री-पुरुष । सभी को शिक्षित कर रही है। पुलिस के इस अभियान का मकसद है कि लोगों को उनका हक मिल सके। वो सरकारी योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सके। इसके साथ ही कोई उनके अशिक्षित होने का बोजा फ़ायदा ना उठा सके। आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नर एलएन मीणा को अपनी ड्यूटी के दौरान इस बात का अहसास हुआ कि क्षेत्र के आदिवासी इलाकों में शिक्षा का अभाव है और अशिक्षित होने के कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। इसके साथ ही पैसे के लिए वो साहूकारों पर निर्भर थे। उनकी अशिक्षा और मजबूरी का साहूकार बेजा फ़ायदा उठाते थे और सूद के रूप में उनसे मनमानी रकम वसूलते थे। आदिवासियों की इस स्थिति को दूर करने के लिए पुलिस कमिश्नर एलएन मीणा ने अपने सहकर्मियों के साथ चर्चा की और आदिवासी इलाकों में लोगों को पढ़ाने का निर्णय लिया गया। पुलिस ने अपने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जमुड़िया और सलानपुर क्षेत्र को चुना और लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना शुरु किया। पुलिस ने लोगों को समझाया कि किस तरह वो स्वयं पढ़कर और अपने बच्चों को पढ़ाकर अपनी किस्मत खुद लिख सकते हैं। इसके बाद लोगों ने अपने बच्चों को पुलिस द्वारा शुरू किये गये स्कूल में भेजना शुरू किया। जब लोगों को पढ़ाई की महत्ता समझ आई, तो वो समय निकालकर खुद भी स्कूल जाने लगे। सलानपुर क्षेत्र के बड़ाभुई गांव में पुलिस द्वारा खोले गये स्कूल का जिम्मा संभाल रहे। पवित्रो गांगुली का कहना है कि शुरु में लोग पुलिस द्वारा खोले गये स्कूल में आने से कतराते थे, लेकिन आज स्थिति बदल रही है। लोग ना केवल स्कूल आ रहे है, साथ ही सवाल भी पूछ रहे हैं। पवित्रो का कहना है कि अपनी ड्यूटी से फ्री होकर वो स्कूल में पढ़ाने जाते हैं और उनकी अनुपस्थिति में ट्यूटर की व्यवस्था की गयी है। इसके साथ ही स्कूल में पढ़ने के लिए आने वाले लोगों और बच्चों को कॉपी-किताब, बैग और दूसरी स्टेशनरी की व्यवस्था भी पुलिस विभाग की ओर से ही की जाती है। । पुलिस की इस अनूठी पहल का असर आज पूरे क्षेत्र में दिख रहा है।लोग साहूकारों के मकड़जाल से आजाद हो रहे हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ ले पा रहे हैं जिससे ना केवल उनकी जिंदगी में सुधार आया है, साथ ही उनकी आंखों में सुनहरे भविष्य के सपने जगे हैं।